पहले लोग भावुक होते थे…
भावना में बह कर रिश्ते निभाते थे…

फिर लोग प्रैक्टिकल हुए … भावना का कोई स्थान नहीं था … रिश्तों से फायदा उठाते थे…

अब लोग प्रोफेशनल हो गए हैं।
जिनसे फायदा उठाया जा सके सिर्फ वहीँ रिश्ते बनाते हैं ….

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